Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -10-Apr-2023 जानकी का त्याग

शीर्षक -जानकी का त्याग
जानकी में था धीर,
नैनो में था नीर,
फिर भी छुपाती पीर।

राजा जनक की थी बेटी,
धरती से वो जन्मी,
परित्याग की कहलाती देवी।

जब निभाने थे राम को वचन,
राम ने सीता संग किया गमन,
छोड़ चली सब सुख धन।

राजा की बेटी रही जंगल,
फिर भी आंखों में न बहे सजल,
अटल अचल था उसका प्रणय।

रावण ने किया छल,
सीता का किया हरण,
अशोक वाटिका में पड़े चरण।

फिर भी न छोड़ी आस,
राम आएगे लेने मनन विश्वास,
करती रही राम का इंतजार।

राम ने किया रावण पर वार,
रावण का किया संघार,
सीता मां को छुड़ाए राम।

फिर किया जानकी ने त्याग,
अग्नि परीक्षा देनी पड़ी आज,
सीता मां की परखी लाज।

आई जब सीता मां प्रांगण,
दुनिया ने लगाए लांछन,
सुन राम ने किया विचार।

सोच सोच सजल नैन गाते राग,
क्यों मन में बसा रखा काग,
गा रही थी बस मां ही राग।

जंगल में  रातें गुजारी,
ऋषि मुनि के घर पधारी,
लव-कुश जन्मे अवतारी।

कुछ वर्षों के बाद,
जंगल में आए राम,
चलो सीता अयोध्या धाम।

सीता मां ने किया इनकार,
अब नहीं जाना सुख संसार,
बहुत हुआ अब अत्याचार।

हर बार औरत क्यों जाती ठगी,
कभी अहिल्या पाषाण बनी,
कभी सीता वन की बनी जननी।

अमर यादव के नाम पर किया प्रहार,
मर्द नहीं होते क्या कसूरवार,
औरत पर लगाया जाता इल्जाम।

इतना कह सीता ने धरा को पुकारा,
धरती फटी सब ने देखा नजारा,
 अवहेलना से पाया छुटकारा।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

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6 Comments

madhura

11-Apr-2023 03:29 PM

WELL SAID

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Punam verma

11-Apr-2023 08:49 AM

Very nice

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Abhinav ji

11-Apr-2023 08:18 AM

Very nice 👌

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